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Maa Ke Ansoo (1959)

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  • Release Date1959
  • GenreDrama
  • FormatB-W
  • LanguageHindi
  • Run Time140 min
  • Length4094.98 meters
  • Number of Reels15
  • Gauge35 mm
  • Censor RatingA
  • Censor Certificate NumberA-942/59-MUM
  • Certificate Date28/12/1959
  • Shooting LocationMinerva Movietone & Jyoti Studios
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मेरे बेटे मेरे लाल ये कैसी हालत...। शराब में मदहोश शौकत लड़खड़ाता हुआ आकर माँ के हाथों में गिर पड़ा। बाप ने कहा; तुम्हारे लाड़ व प्यार ने शौकत को तबाह कर दिया। माँ ने समझाया, शादी के बाद सुधर जायेगा। बेटे में चाहे बुरायाँ हो मगर माँ को उसमें कभी कोई बुराई नज़र नहीं आती, यही वजह है कि धनवानों की औलाद की जिन्दगी लाड़ व प्यार से ही बरबाद होती है, मुर्शिदाबाद के रईस नवाब हारून अहमद का बेटा शौकत शराब और औरत में अपनी दीन-दुनियाँ खराब कर रहा था। एक दिन एक फक़ीर की जिन्दगी की बचाने की खातीर हारून का झगड़ा शहर की मशहूर वेश्या शैहनाज़ से हो गया। नवाब मीरज़ाफर ने झगड़े की आग को और भड़काया। शैहनाज़ हारून से बदला लेने पर तैय्यार हो गई।

मीरज़ाफर की हारून से खानदानी दुश्मनी थी। उसने हारून को धोके में फँसाकर उसकी तमाम तौलत हाकिम को अदालत में जफ्त करा दी। सखी हारून कंगाल हो गया। शैहनाज़ के इश्क में शौकत सबकु भूल बैठा। शौकत की माँ आबिदा ने शैहनाज़ के पैरों में गिरकर अपने बेटे की भीख माँगी। लेकिन उस वेशवा ने माँ की ममता को ठुकरा दिया। बूढ़िया माँ ने तड़प कर आँसू बहाते हुये उसे बद्ददुवा दी कि अगर खुदा सच्चा है, माँ का प्यार सच्चा है, तो माँ के आँसू तेरे लिये नूह का तूफान बनकर तेरे गरूर को मिट्टी में मिला दे। जललील शैहनाज़ के इन्तकाम ने बेटे के ही हाथों माँ की आँखों की रोशनी छीन ली।

अब उनकी बरबाद जिन्दगी का एक ही सहारा था; और वो था उनका नेकदिल लड़का कमर। मीरजाफर की काली कर्तूत ने शौकत के हाथों माँ बाप को निकलवाकर शैहनाज़ के खानदान को हवेली में आबाद करवा दिया। कमर माँ बाप की सेवा में अपना जीवन अर्पण करते हुये उन्हें दूसरे शहर में ले आया, वहाँ सेठ कृष्णगोपाल से हारून की अचानक मुलाकात हो गई। वर्षों के बाद बीछड़े हुये साथी ऐसे मिलें जैसे कृष्ण और सुदामा मिले थे, कृष्णगोपाल ने हारून की हर तरह से सेवा की। शैहनाज़ के फरेब में गिरफ्तार शौकत पागलपन की हद तक बेवकूफ  बन चुका था। एक राज शौक़त की मौजूदगी में शैहनाज़ ने नज़मा को पैर दबाने का हुक्म दिया। स्वामीमानी औरत ने जब जलीत वेशवस के पैर दबाने से इन्कार कर दिया तो अन्जाम ये हुआ कि उस पतिव्रता औरत को संगदिल शौहर की ठोकरें खाकर घर से निकल जाना पड़ा।

शैहनाज़ की सालगिरह पर शैकत ने बाजार से एक मोतियों का हार लाकर गले में पहनाया मगर पवित्र मोती गुनाहगार जिस्म से लगते ही आँसू बनकर टपक पड़े। शैहनाज़ ने शौकत को ज़हर देना चाहा लेकिन उसकी चालबाजी पकड़ी गई। शौकत ने तड़प कर कहा क्या मेरी मोहब्बत का बदला ज़हर। शैहनाज़ ने मुस्कराते हुये कहा तवायफ की मोहब्बत से वफा की उमीद रखनेवाले जानवर, माँ मी आँखों का नूर छीननेवाले जालीम, बाप को अपाहीन और बीबी बच्चे की जिन्दगी बरबाद करनेवाले तू दुनियाँ में सबसे बड़ा मुजरिम है, शैहनाज़ ने यह कहकर उसे गुण्डों से पिटवाकर अँधेरी रात में घर से निकाल दिया, शौकत पागल की तरह दर दर भटक रहा था, अचानक एक खण्डरात में उसने अपनी बीवी और बच्चे को देखा, लेकिन इस शरीफ खनदान का क्या अन्जाम हुआ? ये तो आप "माँ क आँसू" देखकर जी जान सकते हैं।

[From the official press booklet]

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